shayari on december
sadshayari4u
दिसंबर भी बीत जाएगा बीते साल की तरह है बिल्कुल तुम्हारी तरह है रुकता नहीं है
हरा ही रहता है, ये दिसम्बर हर पल, जख़्म हरा, यादें हरी, और मौसम भी हरा
काश कि तुम
कोई दिसम्बर होते,
साल के आखिर मे
आ तो जाते
यारों की शाॅल ओढ के आवारा गर्दियाँ
काटी है हमने यूँ भी दिसम्बर की सर्दियाँ
काश कोई अपना
संभाल ले मुझको,
बहुत कम बचा हूँ बिल्कुल दिसम्बर की तरह।